Sunday 31 July 2016

India k islami Hukmara k Naam

*8वीं शताब्दी* में ही *मुहम्मद-बिन-कासीम* ने हिन्द की सरजमीं पर परचम लहरा दिया था। मुस्लिम हुक्मरान और उनकी हुकूमत- *👇🏼मुस्लिम हुक्मरान के नाम👇🏼*
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1. आमिर *नासिरुद्दीन* सुबक्तगीन, हुकूमत 13 साल ( 984-997ईस्वी )
2. *महमूद गजनवी*, हुकूमत 32साल ( 997 or 998-1030 ईस्वी )
3. सुल्तान *शहाबुद्दीन गौरी*, हुकूमत 31 साल ( 1175-1206 ईस्वी )
4. सुल्तान *कुतुबुद्दीन ऐबक*, हुकूमत 4 साल ( 1206-1210 ईस्वी)
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" *गुलाम वंश*"
5. सुल्तान *शमशुद्दीन अल्तमश*, हुकूमत 24साल ( 1211-1235 ईस्वी )
6. *रज़िया सुल्तान* (सुल्तान शमशुद्दीन अल्तमश की बेटी)( 1236-1246 ईस्वी)
7. सुल्तान *नासिरुद्दीन मेहमूद*, हुकूमत 20 साल ( 1246-1266 ईस्वी)
8. सुल्तान *ग़यासुद्दीन बलबन*, हुकूमत 21 साल ( 1266-1287ईस्वी )
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" *ख़िलजी वंश*"
9. सुल्तान *जलालुददीन* ख़िलजी, हुकूमत 6 साल (13जून1290-20 जुलाई 1296)
10. सुल्तान *अलाऊद्दीन* ख़िलजी, हुकूमत 20 साल (1296-1316 ईस्वी)
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" *तुगलक वंश*"
11. सुल्तान *ग्यासुद्दीन* तुगलक, हुकूमत 4 साल (1321-1325 ईस्वी)
12. सुल्तान *मोहम्मद शाह* तुगलक, हुकूमत 27 साल (1325-1352ईस्वी )
13. सुल्तान *फ़िरोज़ शाह* तुगलक, हुकूमत 35 साल (1352-1387 ईस्वी)
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" *सय्यद वंश*"
14. *ख़िज़्र खाँ*, हुकूमत 7 साल (1414-1421ईस्वी)
15. *मुबारक़ शाह*, हुकूमत 13 साल (1421-1434ईस्वी)
16. *मुहम्मद शाह*, हुकूमत 11 साल (1434-1445ईस्वी )
17. *आलमशाह शाह*, हुकूमत 6 साल (1445-1451ईस्वी)
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" *लोधी वंश*"
18. सुल्तान *बेहलोल* लोधी, हुकूमत 37 साल (1451-1488ईस्वी)
19. सुल्तान *सिकंदर* लोधी, हुकूमत 29 साल (1488-1517 ईस्वी)
20. सुल्तान *इब्राहिम* लोधी, हुकूमत 9 साल (1517-1526ईस्वी)
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" *मुगल वंश*"
21. शहेन्शाह *ज़हिरुद्दीन बाबर*, हुकूमत 4 साल (1526-1530)
22. शहेन्शाह *हुमायूं*, हुकूमत (पहला दौर) 10 साल (1530-1540)
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" *सूरी वंश*"
23. *शेर शाह* सूरी, हुकूमत 5 साल (1540-1545)
24. *इस्लाम शाह* सूरी, हुकूमत 8 साल (1545-1553)
25. *फिरोज़ शाह* सूरी, (1553)
26. *मुहम्मद शाह* आदिल, (1553)
27. *इब्राहिम शाह* सूरी, हुकूमत 3 साल (1553-1555)
28. *सिकंदर शाह* सूरी, (1555)
29. *आदिल शाह* सूरी, (1555)
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" *मुगल वंश-2*"
22. शहेन्शाह *हुमायूं*, हुकूमत( *दूसरा दौर*) 1 साल (1555-1156)
30. शहेन्शाह *जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर*, हुकूमत 49 साल (1556-1605)
31. शहेन्शाह *नूरुद्दीन जहांगीर*, हुकूमत 22 साल (1605-1627)
32. शहेन्शाह *शाहजहां*, हुकूमत 31 साल (1627-1658)
33. *औरंगजेब आलमगीर(रह.)* हुकूमत 49 साल (1658-1707)
34. मुहम्मद *अहमद शाह*, हुकूमत सिर्फ कुछ समय तक के लिए, 14मार्च, 1707 से 8जून,1707 तक।
35. *बहादुर शाह अव्वल*, हुकूमत 5 साल (1707-1712)
36. *जहांदार शाह*, हुकूमत 1 साल (1712-1713)
37. *फर्रुख शेर*, हुकूमत 6 साल (1713-1719)
38. *रफी उद*_दर्जत, हुकूमत सिर्फ कुछ महीनो के लिये, 28 फ़रवरी 1719–6 जून 1719 तक
39. *शाहजहां II* (द्वितीय), हुकूमत सिर्फ कुछ महीनो के लिये, 6 जून 1719–19 सितम्बर 1719
40. *मोहम्मद शाह*, हुकूमत 29 साल (1719-1748)
41. *अहमद शाह*, हुकूमत 6 साल (1748-1754)
42. *आलमगीर सानी* उर्फ़ आलमगीर II (द्वितीय), हुकूमत 5 साल (1754-1759)
43. *शाह आलम*, हुकूमत 47 साल (1759-1806)
44. *जहां शाह*, हुकूमत सिर्फ कुछ समय के लिए,
31 जुलाई 1788―16 अक्टूबर 1788
45. *अकबर सानी*, हुकूमत 31 साल (1806-1837)
46. *बहादुर शाह ज़फ़र*, हुकूमत 20 साल 42 दिन (1837-1857)
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*984 से 1857 ईस्वी तक के मुस्लिम*

हुक्मरानों के नाम है, इसके हिसाब से  *873* साल तक हुकूमत करने वाले बादशाहो के नाम आपके सामने हेे।     *710  ईस्वी* में *मुहम्मद बिन कासिम* हिन्द आये थे और पहली बार उन्होंने *हिन्द की सरजमीं* पर परचम लहराया था।
( *710 से 1857*का समय अंतराल *1,147* साल होता है, इस हिसाब से *1,147 साल* हिन्द का इतिहास मुस्लिम हुकूमत के रंगे मैं रंगा है।
*1857 से 2016* तक, मतलब के लगभग *159 साल* हो गए लेकिन मुस्लिम हिन्द का हुक्मरान नही बन सका।
इन *159* साल में से तो  *90 साल (1857-1947)* तक तो हम अंग्रेजो के गुलाम रहे,

Sunday 10 July 2016

Namaz

हम लोग नमाज़ नही पढ़ते।
नमाज़ के बारे में चंद अहम बाते।। 
नमाज़ क्या हैं ? नमाज़ पढ़ने की फजीलत और उसको छोड़ने के अज़ाब क्या हैं।।
ये सभी मुसलमानों को पता होना चाहिए।।

🌹नमाज़ किया है ?🌹
1. नमाज़ परवरदिगार की खुशी और फरिश्ताे की दोस्ती का सबब हैं।
2.  नमाज़ 1 लाख, 24 हजार नबीयों का तरीका हैं।
3. नमाज़ शैतान को काटने का हथियार हैं। और उसका मूंह काला करती हैं।
4. नमाज़ कब्र को रोशन करने वाली हैं।
5. नमाज़ कयामत में शिफ़ाअत करने वाली हैं।
6. नमाज़ दोजख के अज़ाब से बचाने वाली हैं।।
7. नमाज़ पुलसिरात से आसानी से गुजारने वाली हैं।
8. नमाज़ जन्नत की कुंजी हैं।
9. नमाज़ सब आमाल में बहतर अमल हैं।।
10. सबसे बड़ी बात ( नमाज़ हमारे नबी
की आखो की ठंडक हैं।)
11. बगैर नमाज़ के कोई अम्ल कबूल नही।।

🌹नमाज पढने की फज़ीलत🌹

नाेट:- ये नमाज़ पढने की फज़ीलत हैं। वादा करो अबसे इंशा अल्लाह नमाज़ नही छोड़ेंगे।।
अल्लाह हम सभी को 5 वक्त की नमाज
पढ़ने की तोफीक अता फरमाए।।

आमीन

🌹नमाज छोड़ने के अजाब🌹
1. जो आदमी एक वक्त की नमाज़ जान बुझकर छोड़ दे वो काफिर हो जाता हैं।
2. नमाज़ दीन का सुतून हैं। जिसने नमाज़ को कायम
रखा उसने दीन को कायम रखा । जिसने नमाज़ छोड़
दी उसने अपने दीन को गिरा दिया।।
3. कयामत के दिन सबसे पहले नमाज़ ही का हिसाब
होगा। जिसकी नमाज सही
निकली उसके बाकी अम्ल भी सही होंगे।।
4. इस्लाम और कुफ्र में सिर्फ नमाज़ ही का फर्क
हैं।
5. कयामत के दिन बे नमाज़ी सूअर से भी बदतर होगा।।

जाे बन्दा नमाज नही पढ़ता उस पर 15 तरीकों से अज़ाब होता हैं।।

6 अजाब दुनिया में।
1. उसकी उम्र से बरकत खत्म हो जाती हैं।
2. अल्लाह उस पर से नेक लोगो की निशानी उठा लेता हैं।।
3. जो नेक अमल करेगा उसका अज़र नही मिलेगा।
4. इसकी दुआ आसमानों तक नही जाती।।
5.  रहमत के उस से दूर हो जाते हैं।।
6.  इस्लाम की खूबियों से मरते वक्त कुछ नसीब ना होगा।

3 अजाब मौत के वक्त
1. जलील होकर मरेगा।
2. भूखा मरेगा।
3. प्यासा मरेगा।।

3 अजाब कब्र में होंगे।
1.  कब्र उसपर तंग हो जाती है।
2. कब्र में आग जला दी जायेगी।
3.  उसपर एक अजदाह (सांप) मुसल्लत कर दिया जाएगा।

3 अज़ाब कब्र से निकलने के बाद होंगे।।
1. अल्लाह, एक फरिश्ता मुसल्लत कर देगा। जो उसे
उसकी कब्र से मुंह के बल खींच कर मैदाने हशर में लाएगा।।
2. अल्लाह का उस पर गुस्सा होगा।।
3. उसे जहन्नम में फेंक दिया जाएगा।।

✔जो आदमी नमाज छोड़ देता हैं । उसी वक्त उसका नाम दोज़ख के दरवाजे पर लिख दिया जाता हैं। जब
वह तोबा करके कज़ा पढ़ता हैं वह मिट जाता हैं।।
जब बे नमाज़ी और कुत्ता सामने आ जाए तो पहले
कुत्ते को देखो। क्युँकी बे नमाजी कुत्ते से बत्तर होता हैं।।

Note:- भाइयो, बहुत सख्त अजाब हैं नमाज़ छोड़ने का। आज ही जी अहद करलो,, पुरानी जिंदगी (LIFE) से तौबा ,, और आगे इंशा अल्लाह नमाज़ नही छोड़ेगे।।

अल्लाह हम सबको अम्ल की तौफिक अता फरमाए।।।

आमीन

pl. share to all Muslims
Dua me zarur yaad rkhna namaaz ke sath

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Sher

अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा।।
सिर्फ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा।।

ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो।।
अहले इमां हो तो शैतान से डरते क्यों हो।।

तुम भी महफूज़ कहाँ अपने ठिकाने पे हो।।
बादे अखलाक तुम्ही लोग निशाने पे हो।।

सारे ग़म सारे गिले शिकवे भुला के उठो।
दुश्मनी जो भी है आपस में भुला के उठो।।

अब अगर एक न हो पाए तो मिट जाओगे।।
ख़ुश्क पत्त्तों की तरह तुम भी बिखर जाओगे।।

खुद को पहचानो की तुम लोग वफ़ा वाले हो।।
मुस्तफ़ा वाले हो मोमिन हो खुदा वाले हो।।

कुफ्र दम तोड़ दे टूटी हुई शमशीर के साथ।।
तुम निकल आओ अगर नारे तकबीर के साथ।।

अपने इस्लाम की तारीख उलट कर देखो ।
अपना गुज़रा हुआ हर दौर पलट कर देखो।।

तुम पहाड़ों का जिगर चाक किया करते थे।।
तुम तो दरयाओं का रूख मोड़ दिया करते थे।।

तुमने खैबर को उखाड़ा था तुम्हे याद नहीं।।
तुमने बातिल को पिछाड़ा था तुम्हे याद नहीं।।।

फिरते रहते थे शबो रोज़ बियाबानो में।।
ज़िन्दगी काट दिया करते थे मैदानों में..

रह के महलों में हर आयते हक़ भूल गए।।
ऐशो इशरत में पयंबर का सबक़ भूल गए।।

ठन्डे कमरे हंसी महलों से निकल कर आओ।।
फिर से तपते हु सहराओं में चल कर आओ।।

लेके इस्लाम के लश्कर की हर एक खुबी उठो।।
अपने सीने में लिए जज़्बाए ज़ुमी उठो।।

राहे हक़ में बढ़ो सामान सफ़र का बांधो।।
ताज़ ठोकर पे रखो सर पे अमामा बांधो।।

तुम जो चाहो तो जमाने को हिला सकते हो।।।
फ़तह की एक नयी तारीख बना सकते हो।।।

खुद को पहचानों तो सब अब भी संवर सकता है।।
दुश्मने दीं का शीराज़ा बिखर सकता है।।

हक़ परस्तों के फ़साने में कहीं मात नहीं।।।।।।।।
तुमसे टकराए ज़माने की ये औक़ात  नहीं।।

Pehli muharram ka asardar wazifa rozi me barkat ka

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