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Monday 1 August 2016

Mot k Waqt


मौत के वक़्त की कैफियत
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जब रूह निकलती है तो इंसान का मुंह खुल जाता है होंठ किसी भी कीमत पर आपस में चिपके हुए नही रह सकते..<!--more-->

. रूह पैर के अंगूठे से खिंचती हुई ऊपर की तरफ़ आती है जब फेफड़ो और दिल तक रूह खींच ली जाती है तो इंसान की सांस एक तरफ़ा बाहर की तरफ़ ही चलने लगती है ये वो वक़्त होता है जब चन्द सेकेंडो में इंसान शैतान और फरिश्तों को दुनिया में अपने सामने देखता है... एक तरफ़ शैतान उसके कान के ज़रिये कुछ मशवरे सुझाता है तो दूसरी तरफ़ उसकी जुबान उसके अमल के मुताबिक़ कुछ लफ्ज़ अदा करना चाहती है अगर इंसान नेक होता है तो उसका दिमाग उसकी ज़ुबान को कलमा ए शहादत का निर्देश देता है और अगर इंसान काफ़िर मुशरिक बद्दीन या दुनिया परस्त होता है तो उसका दिमाग कन्फ्यूज़न और एक अजीब हैबत का शिकार होकर शैतान के मशवरे की पैरवी ही करता है और इंतेहाई मुश्किल से कुछ लफ्ज़ ज़ुबान से अदा करने की भरसक कोशिश करता है...।

ये सब इतनी तेज़ी से होता है की दिमाग़ को दुनिया की फ़ुज़ूल बातों को सोचने का मौका ही नहीं मिलता...। इंसान की रूह निकलते हुए एक ज़बरदस्त तकलीफ़ ज़हन महसूस करता है लेकिन तड़प इसलिए नहीं पाता क्योंकि दिमाग़ को छोड़कर बाकी ज़िस्म की रूह उसके हलक में इकट्ठी हो जाती है और जिस्म एक गोश्त के बेजान लोथड़े की तरह पड़ा हुआ होता है जिसमें कोई हरकत की गुंजाइश बाकी ही नहीं रहती...।

आखिर में दिमाग की रूह भी खींच ली जाती है आँखें रूह को ले जाते हुए देखती हैं इसलिए आँखों की पुतलियां ऊपर चढ़ जाती हैं या जिस सिम्त फ़रिश्ता रूह कब्ज़ करके जाता है उस तरफ़ हो जाती हैं...
इसके बाद इंसान की ज़िन्दगी का वो सफ़र शुरू होता है जिसमें रूह तकलीफ़ों के तहखानों से लेकर आराम के महलों की आहट महसूस करने लगती है जैसा की उससे वादा किया गया है... जो दुनिया से गया वो वापस कभी नहीं लौटा... सिर्फ इसलिए क्योंकि उसकी रूह आलम ए बरज़ख में उस घड़ी का इंतज़ार कर रही होती है जिसमें उसे उसका ठिकाना दे दिया जाएगा... इस दुनिया में महसूस होने वाली तवील मुद्दत उन रूहों के लिये चन्द सेकेंडो से ज़्यादा नहीं होगी भले ही कोई आज से करोड़ों साल पहले ही क्यों न मर चुका हो...।

मोमिन की रूह इस तरह खींच ली जाती है जैसे आटे में से बाल खींच लिया जाता है... और गुनाहगार की रूह कांटेदार पेड़ पर पड़े सूती कपड़े को खींचने की तरह खींची जाती है...।

अल्लाह तआला हम सबको मौत के वक़्त कलमा नसीब फरमाकर आसानी के सात रूह कब्ज़ फ़रमा और नबी ए पाक सल्‍लल्‍लाहु अलैही व-सल्‍लम का दीदार नसीब फरमा...।

आमीन या रब्बुल आलमीन!

Sunday 31 July 2016

India k islami Hukmara k Naam

*8वीं शताब्दी* में ही *मुहम्मद-बिन-कासीम* ने हिन्द की सरजमीं पर परचम लहरा दिया था। मुस्लिम हुक्मरान और उनकी हुकूमत- *👇🏼मुस्लिम हुक्मरान के नाम👇🏼*
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1. आमिर *नासिरुद्दीन* सुबक्तगीन, हुकूमत 13 साल ( 984-997ईस्वी )
2. *महमूद गजनवी*, हुकूमत 32साल ( 997 or 998-1030 ईस्वी )
3. सुल्तान *शहाबुद्दीन गौरी*, हुकूमत 31 साल ( 1175-1206 ईस्वी )
4. सुल्तान *कुतुबुद्दीन ऐबक*, हुकूमत 4 साल ( 1206-1210 ईस्वी)
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" *गुलाम वंश*"
5. सुल्तान *शमशुद्दीन अल्तमश*, हुकूमत 24साल ( 1211-1235 ईस्वी )
6. *रज़िया सुल्तान* (सुल्तान शमशुद्दीन अल्तमश की बेटी)( 1236-1246 ईस्वी)
7. सुल्तान *नासिरुद्दीन मेहमूद*, हुकूमत 20 साल ( 1246-1266 ईस्वी)
8. सुल्तान *ग़यासुद्दीन बलबन*, हुकूमत 21 साल ( 1266-1287ईस्वी )
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" *ख़िलजी वंश*"
9. सुल्तान *जलालुददीन* ख़िलजी, हुकूमत 6 साल (13जून1290-20 जुलाई 1296)
10. सुल्तान *अलाऊद्दीन* ख़िलजी, हुकूमत 20 साल (1296-1316 ईस्वी)
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" *तुगलक वंश*"
11. सुल्तान *ग्यासुद्दीन* तुगलक, हुकूमत 4 साल (1321-1325 ईस्वी)
12. सुल्तान *मोहम्मद शाह* तुगलक, हुकूमत 27 साल (1325-1352ईस्वी )
13. सुल्तान *फ़िरोज़ शाह* तुगलक, हुकूमत 35 साल (1352-1387 ईस्वी)
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" *सय्यद वंश*"
14. *ख़िज़्र खाँ*, हुकूमत 7 साल (1414-1421ईस्वी)
15. *मुबारक़ शाह*, हुकूमत 13 साल (1421-1434ईस्वी)
16. *मुहम्मद शाह*, हुकूमत 11 साल (1434-1445ईस्वी )
17. *आलमशाह शाह*, हुकूमत 6 साल (1445-1451ईस्वी)
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" *लोधी वंश*"
18. सुल्तान *बेहलोल* लोधी, हुकूमत 37 साल (1451-1488ईस्वी)
19. सुल्तान *सिकंदर* लोधी, हुकूमत 29 साल (1488-1517 ईस्वी)
20. सुल्तान *इब्राहिम* लोधी, हुकूमत 9 साल (1517-1526ईस्वी)
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" *मुगल वंश*"
21. शहेन्शाह *ज़हिरुद्दीन बाबर*, हुकूमत 4 साल (1526-1530)
22. शहेन्शाह *हुमायूं*, हुकूमत (पहला दौर) 10 साल (1530-1540)
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" *सूरी वंश*"
23. *शेर शाह* सूरी, हुकूमत 5 साल (1540-1545)
24. *इस्लाम शाह* सूरी, हुकूमत 8 साल (1545-1553)
25. *फिरोज़ शाह* सूरी, (1553)
26. *मुहम्मद शाह* आदिल, (1553)
27. *इब्राहिम शाह* सूरी, हुकूमत 3 साल (1553-1555)
28. *सिकंदर शाह* सूरी, (1555)
29. *आदिल शाह* सूरी, (1555)
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" *मुगल वंश-2*"
22. शहेन्शाह *हुमायूं*, हुकूमत( *दूसरा दौर*) 1 साल (1555-1156)
30. शहेन्शाह *जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर*, हुकूमत 49 साल (1556-1605)
31. शहेन्शाह *नूरुद्दीन जहांगीर*, हुकूमत 22 साल (1605-1627)
32. शहेन्शाह *शाहजहां*, हुकूमत 31 साल (1627-1658)
33. *औरंगजेब आलमगीर(रह.)* हुकूमत 49 साल (1658-1707)
34. मुहम्मद *अहमद शाह*, हुकूमत सिर्फ कुछ समय तक के लिए, 14मार्च, 1707 से 8जून,1707 तक।
35. *बहादुर शाह अव्वल*, हुकूमत 5 साल (1707-1712)
36. *जहांदार शाह*, हुकूमत 1 साल (1712-1713)
37. *फर्रुख शेर*, हुकूमत 6 साल (1713-1719)
38. *रफी उद*_दर्जत, हुकूमत सिर्फ कुछ महीनो के लिये, 28 फ़रवरी 1719–6 जून 1719 तक
39. *शाहजहां II* (द्वितीय), हुकूमत सिर्फ कुछ महीनो के लिये, 6 जून 1719–19 सितम्बर 1719
40. *मोहम्मद शाह*, हुकूमत 29 साल (1719-1748)
41. *अहमद शाह*, हुकूमत 6 साल (1748-1754)
42. *आलमगीर सानी* उर्फ़ आलमगीर II (द्वितीय), हुकूमत 5 साल (1754-1759)
43. *शाह आलम*, हुकूमत 47 साल (1759-1806)
44. *जहां शाह*, हुकूमत सिर्फ कुछ समय के लिए,
31 जुलाई 1788―16 अक्टूबर 1788
45. *अकबर सानी*, हुकूमत 31 साल (1806-1837)
46. *बहादुर शाह ज़फ़र*, हुकूमत 20 साल 42 दिन (1837-1857)
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*984 से 1857 ईस्वी तक के मुस्लिम*

हुक्मरानों के नाम है, इसके हिसाब से  *873* साल तक हुकूमत करने वाले बादशाहो के नाम आपके सामने हेे।     *710  ईस्वी* में *मुहम्मद बिन कासिम* हिन्द आये थे और पहली बार उन्होंने *हिन्द की सरजमीं* पर परचम लहराया था।
( *710 से 1857*का समय अंतराल *1,147* साल होता है, इस हिसाब से *1,147 साल* हिन्द का इतिहास मुस्लिम हुकूमत के रंगे मैं रंगा है।
*1857 से 2016* तक, मतलब के लगभग *159 साल* हो गए लेकिन मुस्लिम हिन्द का हुक्मरान नही बन सका।
इन *159* साल में से तो  *90 साल (1857-1947)* तक तो हम अंग्रेजो के गुलाम रहे,

Sunday 10 July 2016

Namaz

हम लोग नमाज़ नही पढ़ते।
नमाज़ के बारे में चंद अहम बाते।। 
नमाज़ क्या हैं ? नमाज़ पढ़ने की फजीलत और उसको छोड़ने के अज़ाब क्या हैं।।
ये सभी मुसलमानों को पता होना चाहिए।।

🌹नमाज़ किया है ?🌹
1. नमाज़ परवरदिगार की खुशी और फरिश्ताे की दोस्ती का सबब हैं।
2.  नमाज़ 1 लाख, 24 हजार नबीयों का तरीका हैं।
3. नमाज़ शैतान को काटने का हथियार हैं। और उसका मूंह काला करती हैं।
4. नमाज़ कब्र को रोशन करने वाली हैं।
5. नमाज़ कयामत में शिफ़ाअत करने वाली हैं।
6. नमाज़ दोजख के अज़ाब से बचाने वाली हैं।।
7. नमाज़ पुलसिरात से आसानी से गुजारने वाली हैं।
8. नमाज़ जन्नत की कुंजी हैं।
9. नमाज़ सब आमाल में बहतर अमल हैं।।
10. सबसे बड़ी बात ( नमाज़ हमारे नबी
की आखो की ठंडक हैं।)
11. बगैर नमाज़ के कोई अम्ल कबूल नही।।

🌹नमाज पढने की फज़ीलत🌹

नाेट:- ये नमाज़ पढने की फज़ीलत हैं। वादा करो अबसे इंशा अल्लाह नमाज़ नही छोड़ेंगे।।
अल्लाह हम सभी को 5 वक्त की नमाज
पढ़ने की तोफीक अता फरमाए।।

आमीन

🌹नमाज छोड़ने के अजाब🌹
1. जो आदमी एक वक्त की नमाज़ जान बुझकर छोड़ दे वो काफिर हो जाता हैं।
2. नमाज़ दीन का सुतून हैं। जिसने नमाज़ को कायम
रखा उसने दीन को कायम रखा । जिसने नमाज़ छोड़
दी उसने अपने दीन को गिरा दिया।।
3. कयामत के दिन सबसे पहले नमाज़ ही का हिसाब
होगा। जिसकी नमाज सही
निकली उसके बाकी अम्ल भी सही होंगे।।
4. इस्लाम और कुफ्र में सिर्फ नमाज़ ही का फर्क
हैं।
5. कयामत के दिन बे नमाज़ी सूअर से भी बदतर होगा।।

जाे बन्दा नमाज नही पढ़ता उस पर 15 तरीकों से अज़ाब होता हैं।।

6 अजाब दुनिया में।
1. उसकी उम्र से बरकत खत्म हो जाती हैं।
2. अल्लाह उस पर से नेक लोगो की निशानी उठा लेता हैं।।
3. जो नेक अमल करेगा उसका अज़र नही मिलेगा।
4. इसकी दुआ आसमानों तक नही जाती।।
5.  रहमत के उस से दूर हो जाते हैं।।
6.  इस्लाम की खूबियों से मरते वक्त कुछ नसीब ना होगा।

3 अजाब मौत के वक्त
1. जलील होकर मरेगा।
2. भूखा मरेगा।
3. प्यासा मरेगा।।

3 अजाब कब्र में होंगे।
1.  कब्र उसपर तंग हो जाती है।
2. कब्र में आग जला दी जायेगी।
3.  उसपर एक अजदाह (सांप) मुसल्लत कर दिया जाएगा।

3 अज़ाब कब्र से निकलने के बाद होंगे।।
1. अल्लाह, एक फरिश्ता मुसल्लत कर देगा। जो उसे
उसकी कब्र से मुंह के बल खींच कर मैदाने हशर में लाएगा।।
2. अल्लाह का उस पर गुस्सा होगा।।
3. उसे जहन्नम में फेंक दिया जाएगा।।

✔जो आदमी नमाज छोड़ देता हैं । उसी वक्त उसका नाम दोज़ख के दरवाजे पर लिख दिया जाता हैं। जब
वह तोबा करके कज़ा पढ़ता हैं वह मिट जाता हैं।।
जब बे नमाज़ी और कुत्ता सामने आ जाए तो पहले
कुत्ते को देखो। क्युँकी बे नमाजी कुत्ते से बत्तर होता हैं।।

Note:- भाइयो, बहुत सख्त अजाब हैं नमाज़ छोड़ने का। आज ही जी अहद करलो,, पुरानी जिंदगी (LIFE) से तौबा ,, और आगे इंशा अल्लाह नमाज़ नही छोड़ेगे।।

अल्लाह हम सबको अम्ल की तौफिक अता फरमाए।।।

आमीन

pl. share to all Muslims
Dua me zarur yaad rkhna namaaz ke sath

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Tuesday 14 July 2015

Masjid k aadab in Hindi

* मस्जिदका अदबो-एहतराम
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1. मसअला:- जिस शख्स पर जनाबतका ग़ुस्ल फ़र्ज़ है, ऐसे शख्सको मस्जिदमे जाना हराम है.
📚(हवाला:- बहारे शरीयत, हिस्सा-2, सफा-39)
🔵
2. मसअला:- मस्जिदमे सवाल करना याने भीख मांगना हराम यही और उस सवाल करनेवाले (भीखमांगने वाले) को देना भी मना है.
📚(हवाला:- बहारे शरीयत, हिस्सा-3, सफा-184)
🔵
3. मसअला:- मस्जिदमे गुमशुदा याने खोई हुई चीज़ तलाश करना मना है.
📚(हवाला:- बहारे शरीयत, हिस्सा-3, सफा-184, फतव -ऐ-रज़वीययह, जिल्द-3, सफा-593)
🔵
4. मसअला:- मस्जिदमे खरीदो-फरोख्त करना जाइज़ नहीं है.
📚(हवाला:- बहारे शरीयत, हिस्सा-3, सफा-185, फतव -ऐ-रज़वीययह, जिल्द-3, सफा-593/594)
🔵
5. मसअला:- मस्जिदमे खाना-पीना और सोना एत्तेकाफकी जिसने निय्यत की हो, या मुसाफिर हो, उसके और परदेशी ावा किसीको जाएज़ नहीं है. लेहाज़ा अगर मस्जिदमे खाने-पिनेका इरादा हो तो एत्तेकाफकी निय्यत करे और कुछ देर ज़िक्रो- अज़्कार और नमाज़-इबादात करे फिर खाए-पिए या सोए.
📚(हवाला:- बहारे शरीयत, हिस्सा-3, सफा-184, फतव -ऐ-रज़वीययह, जिल्द-3, सफा-593/595)
🔵
6. मसअला:-मस्जिदमे कच्चा लहसन और प्याज खाना या खाकर जाना जाएज़ नहीं जब तक मुहमे बू बाकी हो. क्योकि फरिस्तोंको उससे तकलीफ होती है.
📚(हवाला:- बहारे शरीयत, हिस्सा-3, सफा-184, फतव -ऐ-रज़वीययह, जिल्द-3, सफा-598)
🔵
7. मसअला:- मस्जिदका कूड़ा-कचरा ज़ाद करके ऐसी जगहं na डाले जहा बे-अदबी हो.
📚(हवाला:- दुर्रे मुख्तार, बहारे शरीयत, हिस्सा-3, सफा-184)
🔵
8. मसअला:- मुहाब बातेभी मस्जिदमे करनेकी इज़ाज़त नहीं और आवाज़ बुलंद करना भी जाएज़ नहीं है.
📚(हवाला:- दुर्रे मुख्तार, बहारे शरीयत, हिस्सा-3, सफा-185)
🔵
9. मसअला:- मस्जिदमे हँसना कबरमे अँधेरी लाता है. मस्जिदमे हँसनेकी सख्त
मुमानियत (मनाई) वारिद है.
📚(हवाला:-अह्कामे शरीयत, हिस्सा-1, मसला -31, सफा-74)
🔵
10. मसअला:- मस्जिदको रास्ता बनाना यानि उसमेसे होकर गुज़रना ना-जाएज़ है.
अगर इस की आदत करे तो फ़ासिक़ है.
📚(हवाला:- दुर्रे मुख्तार, रद्दुल मोहतार, बहारे शरीयत, हिस्सा-3, सफा-182)
🔵
11. मसअला:- सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लमका इरशाद है के अपनी मस्जिदोंको बच्चो, अपने ना-समाज बच्चो और मजनोनो (पागलो) के jaanese और kharid-फरोख्तसे और ज़ग्दो और और आवाज़ बुलंद करनेसे.
📚(रद्दुल मोहतार, बहारे
शरीयत, हिस्सा-3, सफा- 182, फतव-ऐ-रज़वीययह, जिल्द-3, सफा-403)
🔵
12. अगर मुहल्लेकी मस्जिद मे नमाज़की जमाअतकी नमाज़ न मिले तो किसी दूसरी मस्जिदमे अगर जमाअत मिल सकती है तो वहा जाकर नमाज़ पढ़ना अफज़ल है. और दूसरी मस्जिदमे नमाज़की जमाअत मिलना मुम्किन नहीं तो मुहल्लेकी मस्जिदमे तन्हा
नमाज़ पढ़ना अवला (बेहतर) है. और अगर अज़ान पढ़ने वाले मोअज़्ज़िनने अज़ान पढ़ी और जमाअतके लिए कोईभी न आया तो मोअज़्ज़िन तन्हा पढ़ले, दूसरी मस्जिदमे न जाए.
📚(सगीरी, बहारे शरीयत, हिस्सा-3, सफा-182)
🔵
13. मसअला:-तरावीह और तहिय्यतुल मस्जिद के सिवा तमाम नवाफिल और सुनें (सुन्नत नमाज़) ख़्वाह मोअक्केदाह हो या गैर मोअ-क्केदह हो. घरमे पढ़ना अफज़ल और बाइसे-सवाब-अकमल (सम्पूर्ण) है. सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लमका इरशाद है के तुमपर लाज़िम है के घरोमे नमाज़ पढ़नाकी मर्दके लिए बेहतर नमाज़ घरमे है सिवा फ़र्ज़ नमाज़ है.
📚(हवाला:-बुखारी शरीफ)
         💐

Sunday 12 July 2015

Nasihat bhari baten

सबसे  पहले  सेंड  करदो , क्योंकि  जब तक  कोई  यह  मैसेज पढ़ता  रहेगा , जन्नत  में  आप  के  नाम  का  पेड़  लगता रहेगा ,
घर में गरीबी आने के असबाब..                              ,                            
1= गुस्ल खाने में पैशाब करना                        
2= टुटी हूई कन्घी से कंगा करना

Tuesday 7 July 2015

Hazrat umar

हज़रत उमर फारुख रजि यल्लाहू अन्हु ने कुरआन शरीफ की
आयत सुन कर इस्लाम कुबूल किया और ऐसा कुबूल किया
की हमारे आका ने आपके बारे में फ़रमाया की अगर
नुबुव्वत का दरवाज़ा बंद ना हुआ होता तो मेरे बाद
अगर कोई नबी होता तो उमर होते (सुब्हानअल्लाह).
आप तीर और तलवार लेकर एलानिया हिजरत करने वाले
सहाबी-ए-रसूल थे. आपके वालिद का नाम ख़त्ताब
बिन नुफैल व वालिदा का नाम हन्तिमा था. आपके
अहेद में बीस रकात तरावीह ब जमात शुरू हुई।
आपकी शहादत हालाते नमाज़े फजर में हुई. आप रौजा-
ए-रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में हज़रत अबू बक्र
सिद्दीक के पहलु में दफ्न हुए. जिसकी इज़ाज़त हज़रत
आइशा सिद्दीक़ा बिंते सिद्दीक़ (रदि अल्लाहु
तआला अन्हा) ने दी। आपकी वफ़ात 63 साल कि उम्र
में हुई। आपके अहदे में 4 हज़ार मस्जिदे नमाज़े पंचगाना के
लिए और 9 जामा मस्जिदे तामीर हुई।
बैतुल्माल आप ने कायम फ़रमाया। सबसे पहले आपने
शराबी की सज़ा हद जारी की। आपसे लगभग 539
हदीसे मरवी है। हुजुर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आपको
फारुखे आज़म का ख़िताब अता फ़रमाया है।
आपने सबसे पहले एलानिया खाना-ए-काबा में नमाज़
पढ़ी। आप ने आका सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फैसले
को तस्लीम ना करने वाले बिशर नामी मुनाफ़िक का
सर क़लम फ़रमाया था। फज्र की अज़ान में अस्सलातो
खैरुम्मिनन्नौम का इजाफा आप की ही ख्वाहिश पर
हुआ था।नमाज़ के लिए अज़ान का मशवरा सबसे पहले
आप ने ही पेश की। आप ऐसे सहाबी गुजरे जो खलीफा
होते हुए भी फटा हुआ कुर्ता और फटा हुआ अमामा
इस्तेमाल फरमाते थे। बैतूल मुक़द्दस में दाखिले के वक़्त
आपके कुर्ते में 14 पेवंद लगे थे। आपने आधी दुनिया में
बादशाही की। आप हज़रत फ़ारुखे आजम रात में भेस बदल
कर अपनी रिआया के हालात मालूम किया करते थे।
(सुब्हानाल्लाह)
आप इतने ताकतवर,बहादुर सहाबी थे की शैतान भी
आपसे दूर भागता, आप जिस रास्ते से गुजरते शैतान उस
रस्ते से भाग जाता।
सुब्हानाल्लाह सुब्हा

Pehli muharram ka asardar wazifa rozi me barkat ka

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