अज़ान होती थी तो हजरत अली रज़ि अल्लाह अनहु काँपने लगते थे और रंग सुर्ख हो जाता था , किसी ने पुछा यह क्या माजरा है जब अज़ान होती है आप काँपने लगते हैँ ।
आप ने फरमाया : ईतनी
बड़ी हस्ति का बुलावा आया है पता नही मैँ उसका फर्ज़ थिक तरह से अदा कर सकुँगा या नही ।
और आज लोगो को कोई परवाह ही नही अज़ान की
अल्लाह से डरो ।
अल्लाह हम सभी को नमाज़ पढ़ने की तौफिक अता फरमाए ।
आमीन सुम्म आमीन
अस्सलामु अलय्कुम..
मेरे भाइ में माफ़ी नामा भेज रहा हु।मुझे अपना छोटा भाई समजकर माफ़ कर देना। शबे बरात बहुत ही नज़दीक है। और इस दिन हम सब मोमिनो के नेक अमाल अल्लाह की बारगाह में पेश होते है। में ये चाहता हु। की मेरे से जाने अनजाने में कोई भी गलती हुई हो या जानें अनजाने में मेने आपका दिल दुखाया हो तो अल्लाह के वास्ते मुझे माफ़ कर दे। मेरे सरकार का फरमान आलीशान है की माफ़ी मांगने वाले से माफ़ करने वाला बड़ा होता है तो प्लीज अल्लाह के वास्ते माफ़ कर दे अल्लाह आपकी हर जायज दुआओ को क़बूल और मक़बूल फरमाए अमीन सुम्मा अमीन
15 शाबान को बन्दों के आमाल पेश किये जाते हे सभी भाई गुनाहों से तौबा करे
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